विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वयस्कों के तंबाकू सेवन पर किए गए विश्वस्तरीय सर्वे के मुताबिक भारत में 15 वर्ष से अधिक उम्र के 28.6 प्रतिशत यानी कि 26.68 करोड़ लोग तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करते हैं। इनमें से 19.94 करोड़ धुआंरहित तंबाकू का सेवन करते हैं तो 9.95 करोड़ लोग धूम्रपान (सिगरेट या बीड़ी) करते हैं। तंबाकू खाना, तंबाकू को मसूढ़े और होठ के बीच रखना और नसवार सूंघना, धुआंरहित तंबाकू की श्रेणी में आते हैं। तंबाकू का धुआंरहित इस्तेमाल मुंह के कैंसर, ल्यूकोप्लेकिया (मुंह में सफेद धब्बे) और ओरल सब-म्यूकस फाइब्रोसिस (ओएसएमएफ) की वजह बनता है। इसमें से फाइब्रोसिस सबसे आम और बहुत दर्द देने वाला है।
(यह कैंसर के पहले की स्थिति है। इस बीमारी में मुंह और मुंह के भीतर फाइब्रोटिक बैंड्स (फाइबर के तंग बैंड्स) बन जाते हैं। इस स्थिति के चलते मरीज का मुंह पूरी तरह से खुलना बंद हो जाता है। भारत में ओएसएमएफ का पहला मामला 1953 में सामने आया था और आज भी यह तंबाकू और पान मसाले का सेवन करने वाले लोगों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है।
कारण: इसका मुख्य संबंध तंबाकू चबाने और सुपारी खाने से ही पाया गया है।)
हमारे विभाग में ओएसएमएफ के मरीज़ों का इलाज़ विभिन्न विकल्पों द्वारा किया जाता है जो की मरीज़ों के लक्षणों और तात्कालिक स्थिति से राहत दे सकते हैं:
• ओएसएमएफ के चार चरण होते हैं- I ,II ,III ,IVA एवं IVB जिसमे से पहले एवं दूसरे चरण के लिए कंसर्वेटिव इलाज जैसे दवाओं एवं इंटरलिज़नल इंजेक्शंस से करते हैं जबकि तीसरे एवं चौथे चरण के लिए हम सर्जिकल इलाज़ का चुनाव करते हैं।
• तीन महीने तक हर रोज दो बार लिकोपेने (2000 माइक्रोग्राम) कैप्सूल मुंह में जकड़न से राहत देती है।
• इंटरलिज़नल इंजेक्शन जिसमे स्टेरॉइड्स, लोकल एनेस्थेसिया, ह्यालूरोनिडेस एवं प्लेसेंटल एक्सट्रैक्ट्स फाइब्रोटिक बैंड्स में दिए जाते हैं जिससे मुँह खुलने में काफी मदद मिलती है।
• बीमारी के चरण और तीव्रता को देखते हुए हम सर्जरी पर भी विचार कर सकते हैं।
• फाइब्रोटिक बैंड्स को सीधे छांटकर मुंह को ज्यादा खुलने में मदद की जाती है।
• इसके बाद गाल के मांस को हम विभिन्न प्रकार के फ्लैप्स जैसे कि नसोलैबियल फ्लैप, बक्कल फैट पैड फ्लैप, प्लाटिसमल फ्लैप इत्यादि से रिकंस्ट्रक्शन करते हैं।
• हमारे विभाग में पिछले 5 सालों में लगभग 650 मरीज़ों ने इलाज़ करवाया जिनके परिणाम काफी बढ़िया थे और उन्हें अपने लक्षणों से काफी आराम मिला।
हमारे विभाग में ओएसएमएफ मरीज़ों के सर्जिकल इलाज़ के किये गए कुछ चित्र:
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